सुखानंद
राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर अरावली पर्वत श्रेणियों में समुद्र तल से 550 मीटर ऊँचा सुखानंद तीर्थ बहुत रमणीय स्थल है। यह जावद से 13 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ पहाड़ियाँ कोण बनाती हुई स्थिति में हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत ही मनोरम है जो सैलानियों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। उज्जैन से लेकर एकलिंगनाथ तक विस्तीर्ण भू-भाग ‘शिवभूमि’ है जहाँ हजारों शिव मन्दिर बने हैं। इस भू-भाग में प्रसिद्ध स्थल है- उज्जयिनी में ‘महाकाल’ दशपुर (मंदसौर) में ‘पशुपतिनाथ जावद (अठाना) में ‘सुखानंद’ अरनोद (प्रतापगढ़) में ‘गौतमनाथ’ बाँसवाड़ा में ‘त्रिपुर सुन्दरी का मन्दिर’ चित्तौड़ किले की शिव प्रतिमा तथा एकलिंगजी के प्राचीन देवालय। इनके अतिरिक्त अन्य कई पवित्र एवं आकर्षक स्थान हैं। सुखानंद इन्हीं में से एक पावन तीर्थ है जो सुखदेव मुनि की तपश्चर्या से स्वयं तीर्थ रूप था। यह तीर्थ रमणीय पहाड़ों और चंदन वनों के बीच है। चारों ओर प्राकृतिक सौन्दर्य का अनूठा दृश्य आगन्तुकों के हृदय को प्रफुल्लित कर नई स्फूर्ति देता है।
श्री सुखदेवजी ने इस स्थान की रमणीयता एवं शांत वायुमण्डल से प्रसन्न होकर यहाँ पर तपश्चर्या की थी। तब से ही यह स्थान महान तीर्थ बन गया। यहाँ के पर्वतीय भाग से अविरल प्रवाहित होने वाली गंगा श्री शुकदेव मुनि के द्वारा लाई गई तपः सिद्धीफल है जो यहाँ ‘शौकी गंगा के नाम से प्रचलित है।
यह स्थान ऊँची पहाड़ियों के मध्य स्थित हैं, जहाँ सीढ़ियों की लम्बी कतार चढ़कर पहुँचना होता है। यहाँ के झरनों से 19 मीटर (लगभग 61 फीट) की ऊंचाई से पानी गिरता है। अपने परिवार के दिवंगत सदस्यों की अस्थियाँ विसर्जन करने के लिए दूर-दूर के अनेक श्रद्धालुजन भी यहाँ आते हैं।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग
सुखानंदजी आश्रम से निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबोक, उदयपुर, राजस्थान, 118 किलोमीटर है।
रेल द्वारा
सुखानंदजी आश्रम से निकटतम रेलवे स्टेशन जावद रोड, नीमच हैं। करीब 20 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग से यह नीमच जिले से 33 किलोमीटर दूर है।