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स्थानीय

Machhi Khalla

मच्छी खल्ला, रानी छज्‍जा

प्रकाशित: 22/05/2025

शैलचित्रों की दृष्टि से नीमच जिला अति समृद्ध है। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नीमच-सिंगोली मार्ग पर बसे डीकेन नगर के पूर्वी व पश्चिमी किनारे के गहरे नालों वाली कन्दराओं में आदि मानव द्वारा निर्मित शैल चित्रों का बहुमूल्य खजाना भरा पड़ा है।   भारतीय पुरातत्‍वविद् डॉ. वाकणकर के अनुसार ये शैलचित्र मध्य पाषाणकाल […]

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Jharneshwar Temple

झरनेश्वर महादेव मंदिर

प्रकाशित: 22/05/2025

जिला मुख्यालय से करीब 65 और मनासा विकासखंड मुख्यालय से करीब 34 किलोमीटर दूर कंजार्डा पठार में भरड़ा खोह नाम का प्रसिद्ध स्थान है. मूल रूप से कंजार्डा पठार की ग्राम पंचायत चौकड़ी के अधीन आने वाले भरड़ा दोह को झरनेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता है. भरड़ा दोह में दूधवा नदी […]

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Shri Sahasramukheshwar

श्री सहस्रमुखेश्वर मन्दिर

प्रकाशित: 22/05/2025

मालवा माटी में अरावली की पर्वत श्रृंखला (पठार) के समीप स्थित कुकडेश्वर हजारों वर्ष प्राचीन नगर है। यहाँ ऐतिहासिक धार्मिक विशेषताओं के साथ कुकड़ेश्वर में प्राचीन, दिव्य शिवलिंग श्री सहस्त्र मुखेश्वर महादेव तीर्थ विश्व की ऐतिहासिक चुनिंदा मूर्तियों में है। किवदन्तियों के अनुसार शंखु कर्णेश्वर राजा को भगवान आदिनाथ शिव ने प्रकट होकर दर्शन दिए […]

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Kedareshwar

प्रकृति की गोद में केदारेश्वर

प्रकाशित: 22/05/2025

रामपुरा और बेसला के बीच स्थित अमरपुरा गाँव से सात किलोमीटर दूर प्रकृति की गोद में स्थित एक शिव मन्दिर जो अंचल में केदारेश्वर के नाम से विख्यात है। इस रमणीय स्थल पर पहुँचने के लिए अमरपुरा गाँव से सालरमाला होकर कच्चे मार्ग से पहुँचा जा सकता है। कहने को तो यह कच्चा मार्ग है […]

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NavToran Temple

नवतोरण मन्दिर

प्रकाशित: 22/05/2025

जावद एवं नयागांव के बीच स्थित है खोर गाँव। जहाँ बना है “नवतोरण मन्दिर”। खोर को गुहील युगीन बस्ती माना जाता है। गाँव के के अनेक प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में गर्मी, सर्दी और वर्षा के प्राकृतिक प्रकोप को सहन करते हुए अपने पुरातन इतिहास को अपनी इस खोखली हड्डियों में छुपाए खड़े हैं। […]

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Panchdeval

पंचदेवल मंदिर

प्रकाशित: 22/05/2025

जीरन में तालाब के किनारे 8 वीं-9 वीं शताब्दी में निर्मित एक प्राचीन मन्दिर है जो पंच देवल कहलाता है। इससे कुछ हटकर लघु मन्दिरों का निर्माण किया गया था जो अब खण्डहर हैं। ये कथित तांत्रिकों के पूजा स्थल थे। पंच देवल गुहिल युगीन स्थापत्य एवं कला की धरोहर है। मूल मन्दिर 9 वीं-10 […]

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Barukheda

बरूखेड़ा मंदिर

प्रकाशित: 22/05/2025

बरूखेड़ा के शिव मन्दिर नीमच से मात्र चार किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित बरूखेड़ा, राजपूत काल में अत्यधिक महत्वपूर्ण नगर था। यहाँ प्राचीन अवशेषों से निर्मित 4 मन्दिर हैं जो नागर शैली में निर्मित हैं। बरूखेड़ा के पूर्व में चारभुजा मन्दिर है। यह मन्दिर पहले वीरान था, जिसे गाँव वालों द्वारा आबाद कर विष्णु की […]

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केरी पानी

केरी का पानी

प्रकाशित: 22/05/2025

ग्रीष्‍म ऋतु में लू से बचने के लिए केरी के पानी का उपयोग शहरी एवं ग्रामीण क्षैत्र में जनसामान्‍य के द्वारा किया जाता है। केरी का पानी बनाने के लिए केरी को उबालने के पश्‍चात छीलकर गुदे को पानी में मिलाया जाता है। इसमें आवश्‍यकतानुसार शक्‍कर/मिश्री एवं काला नमक मिलाकर सेवन किया जाता है।

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ठंडाई

खसखस की ठंडाई

प्रकाशित: 22/05/2025

जिले में अफीम की फसल लाइसेंस के तहत बहुतायत में होती है। अफीम निकालने के पश्‍चात डोडो से खसखस निकाली जाती है। ग्रीष्‍म काल में खसखस को पानी में गलाकर गली हुई खसखस को पीसने के पश्‍चात निकले हुए दूध में मिश्री, मगज के बीज, गुलाब की पंखुडि़या पीसी हुई मिलाई जाती है और आवश्‍यकतानुसार […]

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चूरमा

चुरमा

प्रकाशित: 22/05/2025

मॉलवा का प्रसिद्ध भोजन दाल-बाटी के साथ चुरमे का उपयोग जिले में प्रत्‍येक घरो में वार, त्‍यौहार व सामान्‍य दिनो में किया जाता है। चुरमा तैयार करने के लिए सर्वप्रथम आटे में घी का मोन मिलाकर गठ्ठा गुंथकर बड़े-बड़े पेड़े बना लिये जाते है। इन पेड़ो को कण्‍डे की आंच में सेककर बारिक-बारिक चुर लिया […]

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गोंद पाक

गोंद पाक

प्रकाशित: 22/05/2025

धावड़ी/बबूल के वृक्ष से निकलने वाले गोंद को घी के साथ कढ़ाई में सेका जाता है जिससे वह फूल जाता है। मावे को पृथक से सेक कर उसमें शक्‍कर मिलाने के बाद सेके गए गोंद को दरदरा पीस कर सीके हुए मावे में मिलाकर अच्‍छी तरह से घोटकर थाली में जमा दिया जाता है और […]

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आम पाक

आमपाक

प्रकाशित: 22/05/2025

आम से रस निकालकर कढ़ाई में घी के साथ सिकाई की जाती है और गाढ़ा होने पर मावा मिलाकर पुन: सिकाई की जाती है तत्‍पश्‍चात शक्‍कर की चासनी तैयार कर सिकाई किया हुआ मावा व रस के मिश्रण को मिलाकर थाली में जमा दिया जाता है और आवश्‍यकतानुसार काटकर बर्फी बनाई जाती है।

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