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कामा-कीरता पक्षी अभ्यारण्य

श्रेणी एडवेंचर

नीमच जिले की जावद तहसील की दौलतपुरा ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाले कीरता गाँव की जिला मुख्यालय नीमच से दूरी 105 किलोमीटर, तहसील मुख्यालय जावद से दूरी रतनगढ़ होकर 90 किलोमीटर है जबकि कनेरा (राजस्थान) होकर इसकी दूरी मात्र 34 कि.मी. हैं। पंचायत मुख्यालय दौलतपुरा एवं निकटवर्ती कस्बा जाट यहाँ से क्रमशः 13-13 किलोमीटर है। 100 घरों की बस्ती वाले कीरता गाँव में सर्वाधिक घर भीलों के है। इनके साथ ही यहाँ ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर, बैरागी, मेघवाल, बारेठ तथा नायक जाति के घर है।

गुँजाली नदी के उदगम स्थल के दहाने पर बनी ‘काकी झील’ आज सुदूर अँचल में पक्षी अभ्यारण्य के लिए जानी जाती हैं। वर्षा ऋतु में यहाँ का मंजर बेहद सुहाना होता है, जबकि शरद ऋतु प्रवासी पक्षियों की अटखेलियों के कारण आकर्षण का केन्द्र बन जाती हैं। सात समन्दर पार से आए दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी

पक्षियों की अटखेलियाँ और किलोल पक्षी-प्रेमियों को बरबस ही रोमांचकारी बना देती है।

ठण्ड के मौसम में इस झील का अनुकूल वातावरण पाकर प्रवासी पक्षियों के झुण्ड यहाँ स्थाई रूप से डेरा डाल देते हैं। पक्षी विदों की राय है कि यदि कीरता गाँव की इस झील में छोटे-छोटे टीले बना दिये जाए तो यह राष्ट्रीय स्तर का पक्षी अभ्यारण्य बन सकता है। ठण्ड के मौसम में इस झील पर पक्षी-प्रेमियों का जमावड़ा रहता है । यहाँ पहुँचने के लिए राजस्थान के कनेरा या फिर रतनगढ़ जाट होकर पहुँचा जा सकता है। यह झील कीरता से तीन कि.मी. पश्चिम में बेचिराग कामा गाँव के समीप है। क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री बालकवि बैरागी जी ने कामा गाँव ‘का’ व कीरता गाँव का ‘की’ शब्द मिलाकर इसे ‘काकी’ झील नाम दिया।